दोस्तों मालदीव्स 1900 बंदरों से बना हुआ वो देश है जो पूरी दुनिया मै अपने खूबसूरत बिचेस और हॉलिडे डेस्टिनेशन के लिए जाना जाता है. लेकिन इस वक्त यह देश पूरी दुनिया मै उस कांड की वजह से चर्चा मै है. ज्यो वहा के मोजुदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने फेब्रुवारी 2018 मै पुरे देश के अंदर इमरजेंसी लगते हुए किया.
इस से पहले आपको मालदीव्स के डेमोक्रेसी के बारे मै जानना चाहिए. जैसे भारत की तरह मालदीव्स भी एक डेमोक्रेसी है. साल 1968 से पहले प्रधानमंत्री वाला सिस्टम चलता था. 1968 मै हुए एक रेफेरेंदम के बाद मालदीव्स के लोगों ने राज्यघटना को चुन लिया. इसलिए आपको यह बात पता होनी चाहिए 1968 मै मालदीव्स आज़ाद होने के बाद भारत वो पहला जिसने मालदीव्स को सबसे पहले मान्यता दी थी. मेहमूम अब्दुल गयूम 1978, 1983, 1988, 1993, और 2003 मै मालदीव के राष्ट्रपति बने. इसलिए मेहमूम अब्दुल गयूम एशिया के अंदर सबसे लंबे समय तक रहने वाले राष्ट्रपति है. मालदीव एक लोकतांत्रिक देश है इसीलिए मालदीव का डेमोक्रेटिक सिस्टम अपने राष्ट्रपति को हरो अधिकार देता है जो एक राष्ट्रपति के पास होनी चाहिए. इन्हीं अधिकारों में इमरजेंसी का अधिकार भी आता है. वैसे तो इमरजेंसी इस अधिकार का उपयोग किसी बाहरी देश का हमला करने या फिर आतंकी हमले के बाद किया जाता है. लेकिन मालदीव्स जैसे पढ़े लिखे आबादी वाले देश मै इसका उपयोग निजी मामलों के लिए किया जाने लगा है.
मालदीव्स सुप्रीम कोर्ट के आदेशा नुसार मालदीव्स की गवर्नमेंट को विरोधी पार्टीज के नेतावों को छोड़ना चाहिए था. लेकिन सत्ता जाने की डर से अब्दुल यामिन ने उन सब पर फर्जी केस बनाकर उन्हें जेलों मै बंद कर दिया गया.
मालदीव के क्राइसिस का एक और कारण भी हो सकता है की मालदीव्स के राष्ट्रपति चाइना का इन्फ्लुंस अपने देश मै होने दे रहे है. और विरोधी इसका विरोध कर रहे है.
अभी मालदीव्स के पूर्व राष्ट्रपति ने भारत भी ट्विटर पर अपील की है की भारत अपनी सेना मालदीव मै भेजे.
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